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Anjneet Nijjar

Abstract

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Anjneet Nijjar

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मेरा वक़्त

मेरा वक़्त

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हर दिन सोचती हूँ

होगा कुछ अलग

दिन मेरा

सवेर मेरी

पर आती हैं


मेरे हिस्से

सिर्फ़

रसोईघर की कहानियाँ

कड़ाइयाँ और कलछियाँ

खाने पकाने के क़िस्से

कुछ अनमने पल

चाय की प्याली


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255, 255, 0);">और कुछ पुलाव ख़्याली

सब अपनी मर्ज़ी का करने का

जी भर रोने और सोने का

पर न नींद आती है

न ही करार

भागदौड़ में भूल ही जाती हैं


सब मेरी जैसी औरतें

कि वक़्त हमारा

हमारे हिस्से में नही है

यह औरतों के क़िस्से

में ही नहीं है,

हाँ ! सच में…….


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