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Shivani Yaduvanshi

Abstract

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Shivani Yaduvanshi

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मैं झूठ हूँ

मैं झूठ हूँ

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मैं झूठ हूँ 

मैं दिखने में और सुनने में

बहुत खूबसूरत हूँ


बिलकुल इत्र की शीशी में बंद जहर जैसा

जब चढ़ता हूँ लोगो के दिलों पर

तो इल्म भी नहीं होने देता की

तड़पेगा बिखरेगा बर्वाद होगा

वो शख़्स अहसास भी नहीं होने देता।


कुछ लोगो की ज़िंदगी में हूँ सहारे जैसा

रेगिस्तान में दिखने वाली मरीचिका जैसा

मैं वो मंत्र हूँ उनका ज़ो रोज बोलै जाता हूँ

भरोसे करने वाले का विश्वास जलाता हूँ। 


कहने वाला मुझको पक्का दोस्त समझता है

मुझे साथ अपने बेहिसाब रखता है  

मैं इतना बेरहम हूँ उसको भी धोखा देता हूँ

धीरे धीरे में उसे भी डसता हूँ।


सारे ख़ंजर तलवार औज़ार के

जख्म फीखे रहते है मेरे सामने

मैं एक वार में रूह का क़त्लेआम करता हूँ।


मैं झूठ हूँ, मैं दिखने में

और सुनने में बहुत खूबसूरत हूँ।


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