तलाश - एक मंज़िल की
तलाश - एक मंज़िल की
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निकल पड़ा हूँ एक सफर पे,ले कर चंद सपनो से भरी झोली ,
एक डिब्बा उम्मीदों का और,कुछ यादों की पोटली ,
सफर है कुछ कदमों का या है मिलो दूर ,
कहां होंगी मंजिल ये तो कुछ मालूम नहीं ।।
यूँ तो है हौसला आगे बढ़ने का ,
है डर फिर भी कहीं गिर पड़ने का ,
वो मिलेगा भी मुझे, जिसे ढूंढ रहा हूँ ,
क्या ढूंढ रहा हूँ , ये तो कुछ मालूम नहीं ।।
बस चल दिया हूँ रास्तो पर तलाशते कुछ निशान में ,
क्या पहचान है उसकी, क्या होगा रूप उसका,
किस शक्ल में आएगी मंजिल सामने, ये तो कुछ मालूम नहीं ।।
निकल पड़ा हूँ एक सफर पे , ले कर चंद सपनो से भरी झोली ,
एक डिब्बा उम्मीदों का और, कुछ यादों की पोटली ।।
