STORYMIRROR

Shivani Yaduvanshi

Abstract

3  

Shivani Yaduvanshi

Abstract

-- माँ --

-- माँ --

1 min
219

जब कभी मैं पुरानी

यादों में खो जाती हूँ,  

तेरे बारे में सोचती सोचती

माँ, मैं तुझ जैसी हो जाती हूँ


जब भी तुझसे बात करने को

मन करता है मेरा,

तेरे पसन्दीदा पुराने गाने

चलाकर चुपचाप सो जाती हूँ,

माँ, मैं तुझ जैसी हो जाती हूँ


जब भी दिल करता है,

तुझे देखने को मेरा,

मैं आईने के सामने

खड़ी हो जाती हूँ,


हूबहू आँखे, मुस्कुराहट

और चेहरा है मेरा,

मैं फिर भी तुझसे कम

खूबसूरत नजर आती हूँ,

 माँ, मैं तुझ जैसी हो जाती हूँ


तूने मुझे बेबाक होकर

जीना सिखाया है,

अब हर मुश्किलें तेरी परवरिश के

सामने नापाक हो जाती हैं,


जो उदास हो जाऊँ मैं कभी,

तो तेरी सुनाई कहानियाँ याद आती हैं, 

आँखे बंद करके बस में अब

तुझे हर घड़ी अपने पास ही पाती हूँ,

माँ, मैं तुझ जैसी हो जाती हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract