'हौसला'
'हौसला'
ज़ुस्तज़ू के पार शायद
वक़्त से तकरार शायद
ज़िन्दगी की मार शायद
हो जुनूँ की हार शायद
है ये मुमकिन टूटने पे
हो आमादा हौसला भी
है मुनासिब थक के रोना
आंसुओं का सिलसिला भी
है ये मुमकिन सारी रातें
जो पसीने में नहाईं
रूठ बैठीं है खुदी से
क्यूँ सहर से मिल न पाईं
ये थकन भी है मुनासिब
सारी उलझन है मुनासिब
है मुनासिब बेकली भी
बेअदब सी बेदिली भी
मुख्तसर सी हो अगर
क़ुर्बते ग़म से मुहब्बत
तो मुनासिब है बिखरना
बेतहाशा आह भरना
पर ठहरना मौत होगी!!!
सांस लेना दौड़ पड़ना
मार से फिर जूझ लड़ना
रात नींदों से सजाना
इस पलक में चांद जड़ना
हार के उस पार 'दानिश'
ज़ुस्तज़ू की जीत होगी
वक़्त से तकरार फिर तो
ज़िंदगी की रीत होगी
शाम लम्बी से सहर तक
हौसला लड़ता रहा है
डूब के हर बार सूरज
और भी चढ़ता रहा है!!!
Archana Danish
*क़ुर्बत: Nearness
*ज़ुस्तज़ू : Desire
*आमादा : Determined
*मुख़्तसर : Very small duration
