सुखमय संसार बनाने का कर्तव्य
सुखमय संसार बनाने का कर्तव्य
मायूसी का जीवन में तुम, कभी ना करो सत्कार
भगा दो इसको जीवन से, तुम लात मारकर चार
सबके संग इस दुनिया में, हँस खेलकर ही जियो
सबके संग मिलकर, ख़ुशियों भरा सोमरस पियो
नशा खुशी का इतना चढ़े, कि याद ना आये ग़म
हर तरफ बना रहे, ख़ुशियों का सदाबहार मौसम
खुशी का नूर हमारे चेहरे से, सदा टपकता जाए
सबके लिए हमारे अन्दर, प्यार ही बरसता जाए
हमारा आगमन ही बना दे, वायुमण्डल अनुकूल
बन्द हो जाए व्यर्थ संकल्पों की, उड़ती हुई धूल
सारे संसार के प्रति केवल, यही कर्तव्य निभाना
सबके दुख मिटाकर तुम, सुखमय संसार बनाना