प्यार और पहाड़
प्यार और पहाड़
प्यार हो मेरा पर्याय उस पहाड़ का
जिसे हिला न पाएं आंधी तूफ़ान
जो कर पाए सामना हर चुनौती का
जिसकी गरिमा उसकी पहचान
नज़रें उसकी आसमानों पर
हौसले मुट्ठी में उसकी
पांव सदा टिके रहें ज़मीन पर
नींव कच्ची नहीं उसकी
प्यार जिसका नापना, हो उसकी तौहीन
सवाल उठाना उसपर नागवार
अविश्वास कर दे उसको दुखी, ग़मगीन
असहनीय उसके लिए वह भार
मगर खुली हवा के झोंकों से नहीं इनकार
प्यार में घुटन के लिए नहीं जगह
लहरों की थपेड़ों से भी नहीं रार तकरार
प्यार के पहलू हज़ार, कई कई सतह
प्यार मेरा बना रहे पहाड़ का पर्याय
गरिमामय हो हर रिश्ता हर अहसास
भूले से न होने दूं उस से अन्याय
सम्बल दे, शक्ति दे, पास न आए त्रास