ज़रूरतें
ज़रूरतें
ज़रूरतों का क्या है
ज़रा सी छूट मिले
हद से गुज़र जाने में
देर नहीं लगती-
ज़िंदगी निकल जाती है-
ज़रूरतें पूरी होने का
नाम ही नहीं लेती-
घर में जगह नहीं रत्ती भर
पर छोटी बड़ी चीज़ें
तकतीं इधर उधर
कहां मिलेगी हमें जगह-
ज़रूरत वही जिसके बगैर
काम न चले
ज़रूरत वही ,जो ज़िंदगी
को सुकून दे
उसे आसान बनाए
वह नहीं ,जो बना दे हमें
लालची और खुद्दार-
अपनी झोली भरते भरते
बन जाएं संवेदनहीन -
और ,अभी और,पाने की चाह-
निरंकुश अपनी मांगे
ज़रूरतें बढ़ती ही जाएं
करें हम महसूस
घुटन और अवसाद -
कैसे पाएंगे छुटकारा
इस जंजाल से-
रत्ती भर जगह नहीं-
बिखरी चीज़ें चारो ओर-
भर गया मन
पर मोह अभी बाकी है
साथ नहीं जाएगा कुछ भी,
जानते हैं - मानते हैं-
फिर क्यों नहीं कर पाते व्यवस्थित
ज़िंदगी अपनी
हम क्यों नहीं दे पाते
अपनी ज़रूरतों को लगाम
बेहद ज़रूरी न हो जब तक
क्यों न हदों का करें सम्मान