थक गई हूं अब मैं अब भटकते भटकते, तेरी आंखों में चैन से सोना चाहती हूं। थक गई हूं अब मैं अब भटकते भटकते, तेरी आंखों में चैन से सोना चाहती हूं।
कभी साधनों की उपस्थिति में ज़रूरत हो जाती है पूरी, कभी साधनों की उपस्थिति में ज़रूरत हो जाती है पूरी,
जो हर आने जाने वाली लड़की के वस्त्र के अंदर तक टटोल आती है जो हर आने जाने वाली लड़की के वस्त्र के अंदर तक टटोल आती है