जब आप थे सामने मेरे, दीदार अच्छा लगता था गुफ्तगू की उल्फत नहीं, दीदार अच्छा लगता था। जब आप थे सामने मेरे, दीदार अच्छा लगता था गुफ्तगू की उल्फत नहीं, दीदार अच्छा ल...
सबकी निगाहें चुरा के घर से तू जब निकलती थी। सबकी निगाहें चुरा के घर से तू जब निकलती थी।
फिजुल लोग होते अक्स ऐसे है जिनसे धूमिल रहते सभी शीशे है। फिजुल लोग होते अक्स ऐसे है जिनसे धूमिल रहते सभी शीशे है।
तुम भी ऐसे सिक्के किसी ताख पे सहेजा करो, मुफ़लिसी के दिनों ............... तुम भी ऐसे सिक्के किसी ताख पे सहेजा करो, मुफ़लिसी के दिनों ...............
कभी साधनों की उपस्थिति में ज़रूरत हो जाती है पूरी, कभी साधनों की उपस्थिति में ज़रूरत हो जाती है पूरी,
अपने आंसुओं को तू तलवार कर मारे उनको जो है बेईमानी का सर अपने आंसुओं को तू तलवार कर मारे उनको जो है बेईमानी का सर