आंसुओं की तू इज्जत कर
आंसुओं की तू इज्जत कर


अपने आंसुओं की तू इज्जत कर
फिजूल में इन्हें तू मत बहाया कर
मोती न सही, मोती से कम भी नहीं
अपने आंसुओं में साखी शोला भर
बहाना है, तू बहा तू इन्हें दरिया भर
ताकि मिल जाये तुझे अपना घर
अपने आंसुओं की तू इज्जत कर
फिजूल में इन्हें तू मत बहाया कर
अपने आंसुओं को तू नुकीला कर
चुभे दुष्टों को जिनमें पाप मणभर
अपने आंसुओं को तू तलवार कर
मारे उनको जो है बेईमानी का सर
अपने आंसुओं की तू इज्ज़त कर
अपनी आंखों को बना तू सुंदर घर
अपने आंसुओं को अनमोल समझ,
इनमें भरा हुआ है, पावन गंगाजल,
आंसुओं को तू समझ ख़ुदा का घर
ये निश्छल होकर जब भी बहते है,
तब आ जाते है भगवान अपने, घर
अपने आंसुओं की तू इज्जत कर
इनकी धार में मिलता खुदा का घर