ज़िन्दगी क्या है कवि की लिखी हुई ज़ुबाँ है । ज़िन्दगी क्या है कवि की लिखी हुई ज़ुबाँ है ।
कान चुप है जुबां चुप है। कान चुप है जुबां चुप है।
जो हर आने जाने वाली लड़की के वस्त्र के अंदर तक टटोल आती है जो हर आने जाने वाली लड़की के वस्त्र के अंदर तक टटोल आती है