"अपार शांति"
"अपार शांति"
कान चुप है
जुबां चुप है
जिधर देखो,
उधर धूप है
हर ओर दृश्य,
बड़े कुरूप हैं
आंख बंद कर
मौन धारण कर
भीतर देख,
जल रही,लौ,
क्या ख़ूब है
अपार शांति,
होगी महसूस है।
कान चुप है
जुबां चुप है
जिधर देखो,
उधर धूप है
हर ओर दृश्य,
बड़े कुरूप हैं
आंख बंद कर
मौन धारण कर
भीतर देख,
जल रही,लौ,
क्या ख़ूब है
अपार शांति,
होगी महसूस है।