नया जीवन
नया जीवन
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उलझनों में फँसा दिल कुछ भी सोचे ,
मन में उभरे ख्यालों को कैसे रोके ?
कोरोना का डर अब यूँ सताने लगा था ,
हर आहट पर धड़कने बढ़ाने लगा था।
वो जो हँसते थे कल संग ....
क्या आज चले जायेंगे ?
मुझे इस जहाँ में ....
तन्हा छोड़ जायेंगे।
लब थे थरथराते ....
और आँखें थी नम ,
चारों ओर फैला था ,
अफवाहों का बाज़ार गर्म।
थोड़ी देर रुककर ....
इस दिल को संभाला ,
अपने लिए भी बना है ,
वो ऊपरवाला।
दोनो कर जोड़ ....
किया नम्र निवेदन ,
कोरोना हार गया ,
मिला उनको नया जीवन ।।