चलना ही जिंदगी है
चलना ही जिंदगी है
ये समय की धूल आखिर,
कब तलक ओझल करेगी।
रहो तत्पर इस कर्मपथ पर,
आज नहीं कल तब भी,
विजयश्री तुमको मिलेगी।
यूं ठहरना राहत दे भले ही,
मंजिल ना दे पायेगा
हे पथ प्रहरी सांस ले
और सोच ले,
इस जीवन पथ पर
बढ़ना ही काम आयेगा।
है राह थोड़ी कठिन,
पर मंजिल तू पायेगा।
इस दुनिया की भीड़ में,
अलग पहचान बनायेगा।
