Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract

3  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract

ये जिंदगी रुकती नही

ये जिंदगी रुकती नही

1 min
237


ये जिंदगी कभी रुकती नहीं है

ये जिंदगी क़भी थमती नहीं है

कितना ही ये क्यों न टूट जाये,

ये जिंदगी कभी टूटती नहीं है


कितना सताएगी अरे जिंदगी,

कितना मनाएगी अरे जिंदगी,

ख़्वाब मेरे शीशे के ही सही,

पर तस्वीर तेरी मिटती नहीं है


जितना ज्यादा देगी तू गम

उतना ही टूटेगा मेरा भ्रम

आंसू देकर भी सूखती नहीं है

ये जिंदगी कभी रुकती नहीं है


इसे जितना सँघर्ष मिलता है

उतना ख़ुशी का फूल खिलता है

ये जिंदगी कभी रूठती नहीं है

कमल बनना कभी भूलती नहीं है


अपने को आसमाँ पे जाना है

अम्बर को धरती पे झुकाना है

उनसे जिंदगी बिगड़ती नहीं है

ये आलसियों से सँवरती नहीं है


कर्मवीरों से ये झगड़ती नहीं है

कर्मवीरों को ये सताती नहीं है

ये जिंदगी उनकी रुकती है,

जिनकी आंखों में ज्योति नहीं है!




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract