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अर्चना तिवारी

Abstract

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अर्चना तिवारी

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नमामि गंगे

नमामि गंगे

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नमामि गंगे हर -हर गंगे 

घाट तेरे आके सब हो जाते चंगे

ब्रह्मा के कमंडल से हुआ जन्म

हिमालय सुता भी कहलाती

सगर के पुत्रों के तारण हेतु


भगीरथ ने तप किया कठोर

तब ब्रह्म देव हो गए प्रसन्न

लेकिन माँ को धरती पर आना

जरा भी नहीं सुहाया था

पर ब्रह्मदेव की आज्ञा का

पालन भी तो करना था


क्रोध में स्वर्ग से तीव्र गति से चली

सोचा पूरी धरती को ही बहा ले जाऊँगी

पर तभी आकर प्यारे शिव ने प्रेमसहित

माँ को अपनी जटाओं में बाँध लिया

पाकर स्नेह प्रेम प्यारे शिव का

क्रोध शांत हुआ था माँ का


माँ गंगा गंगा धरती पर आईं

आकर धरती पर माँ ने सबका

अपने पावन जल से उद्धार किया

जय –जय गंगे की ध्वनि

चारों दिशा में थी गूँज उठी


माँ अपना प्यार सदा बनाए रखना

पावन धरती की सुख समृद्धि बनाए रखना

सब मिल बोलो नमामि गंगे हर-हर गंगे              

माँ घाट तेरे आके सब हो जाते चंगे।


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