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Archana Tiwari

Tragedy

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Archana Tiwari

Tragedy

नशा मुक्त जीवन

नशा मुक्त जीवन

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नशा कर क्या पाता तुम मानव 

कर नशा बन जाता दानव 

गाली गलौच कर मारपीट 

कितनों का दिल दुखाता तू मानव ।


सिगरेट सुलगाने से पहले 

सोच ज़रा उस मात -पिता की 

जिसने निज सुखों का त्यागकर

तुझकों कितने नाज़ों से पाला होगा ।


देखे कितने सपने होंगे 

कैसे उन सपनों को सींचा होगा 

भले खुद भूखे सोए होंगे  

पर तुमकों न भूखा रखा होगा ।


मैखाने जाते सोच ज़रा उस लड़की की 

जिसकी अभी तय शादी हुई 

कहीं नशेड़ी जान भाई को 

टूट गई शादी तो क्या होगा ।


लोगों के ताने और बेतुकी बातें

क्या समाज की पीड़ा सह पाएगी 

अपने जीवनसाथी का बिछोह  

अपना दुख वो किसी से कह पाएगी ।


हाला को छूने से पहले सोच दूसरे पिता का 

जिसने अपने दिल का टुकड़ा 

तुझे यह सोच सौंपा होगा  

उनसे भी अज़ीज़ तुझे उसका गौरव होगा ।


कश खींचने से पहले सोच उस मासूम का 

जो अभी कोख में पल रहा 

देख तेरा यह घिनौना रूप 

भीतर ही भीतर कितना कौंधा होगा ।


कर्म का फल तो भुगतना होगा  

घटी कोई अनहोनी तो 

बिना बाप के जन्म लिया 

यह सोच कितना रोया होगा ।


सुन लो मदिरा बेचने वालों 

तुम्हारा गुनाह कुछ कम नहीं 

नहीं बनाते तुम मदिरालय 

न होते कितने जीवन बर्बाद ।


न किसी की बेटी पीटी जाती 

न बाप नज़र झुका के चलता 

न बालक घर में भूखा सोता 

न होता जीवन में ऐसा अत्याचार ।


सुन मानव ठहर जा अब भी वक्त है 

बंद कर अपना नशा व्यापार 

युवा पीढ़ी को सही राह दिखा 

दे नव जीवन बना सुखद उनका संसार ।



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