नशा मुक्त जीवन
नशा मुक्त जीवन
नशा कर क्या पाता तुम मानव
कर नशा बन जाता दानव
गाली गलौच कर मारपीट
कितनों का दिल दुखाता तू मानव ।
सिगरेट सुलगाने से पहले
सोच ज़रा उस मात -पिता की
जिसने निज सुखों का त्यागकर
तुझकों कितने नाज़ों से पाला होगा ।
देखे कितने सपने होंगे
कैसे उन सपनों को सींचा होगा
भले खुद भूखे सोए होंगे
पर तुमकों न भूखा रखा होगा ।
मैखाने जाते सोच ज़रा उस लड़की की
जिसकी अभी तय शादी हुई
कहीं नशेड़ी जान भाई को
टूट गई शादी तो क्या होगा ।
लोगों के ताने और बेतुकी बातें
क्या समाज की पीड़ा सह पाएगी
अपने जीवनसाथी का बिछोह
अपना दुख वो किसी से कह पाएगी ।
हाला को छूने से पहले सोच दूसरे पिता का
जिसने अपने दिल का टुकड़ा
तुझे यह सोच सौंपा होगा
उनसे भी अज़ीज़ तुझे उसका गौरव होगा ।
कश खींचने से पहले सोच उस मासूम का
जो अभी कोख में पल रहा
देख तेरा यह घिनौना रूप
भीतर ही भीतर कितना कौंधा होगा ।
कर्म का फल तो भुगतना होगा
घटी कोई अनहोनी तो
बिना बाप के जन्म लिया
यह सोच कितना रोया होगा ।
सुन लो मदिरा बेचने वालों
तुम्हारा गुनाह कुछ कम नहीं
नहीं बनाते तुम मदिरालय
न होते कितने जीवन बर्बाद ।
न किसी की बेटी पीटी जाती
न बाप नज़र झुका के चलता
न बालक घर में भूखा सोता
न होता जीवन में ऐसा अत्याचार ।
सुन मानव ठहर जा अब भी वक्त है
बंद कर अपना नशा व्यापार
युवा पीढ़ी को सही राह दिखा
दे नव जीवन बना सुखद उनका संसार ।