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अर्चना तिवारी

Inspirational

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अर्चना तिवारी

Inspirational

तुम सामान्य नार नहीं

तुम सामान्य नार नहीं

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तुम हो जानकी 

मर्यादा को जानने वाली 

पत्नी धर्म निभाने वाली 

जगत माता संतान पालक 

तुम सामान्य नार नहीं ..........


पति धंर्म निभाते हुए 

कुल का गौरव बचाने 

 शूल मार्ग पर चली 

मुसकुराते हुए वन को चली।

तुम सामान्य नार नहीं ..........


कौशल्या को सास नहीं 

अपनी माँ ही जाना 

दशरथ को पिता ही जाना 

सुता सम ही स्नेह तुमने भी पाया।

तुम सामान्य नार नहीं ..........


वन में भी न घबराई 

चाहे कितनी विपत्ति आई 

कितने भी जतन किए असुरों ने 

पर दुष्ट रावण सम्मुख न हारी।

तुम सामान्य नार नहीं ..........


धर धीर तू स्वाभिमानी 

बाट जोहती रही 

पता था तुम्हें आएँगे राघव 

अपनी सीता को ले जाएंगे।

तुम सामान्य नार नहीं ..........


सब समझ आया 

तेरा प्रेम समर्पण त्याग 

पर राम का प्रेम नहीं समझ आता 

तेरा परित्याग खलता है मुझको।

तुम सामान्य नार नहीं ..........


क्यूँ हुई अग्नि परीक्षा 

क्यूँ न तुम कुछ बोली 

क्यूँ चुप थे मात पिता 

क्यूँ तुमने इतनी पीड़ा झेली।

तुम सामान्य नार नहीं ..........


धरा की रीत न तुमको भाई 

इस संसार का मर्म न समझ पाई 

इसीलिए तुम तो जानकी 

घट से जन्मी, धरा में समाई।

तुम सामान्य नार नहीं ..........


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