माँ घट घट वासी माँ घट घट वासी
तमाशा बहुत करते थे। तमाशा बहुत करते थे।
अब तक चाह बूँद की लेकर, मन में ले विश्वास रखी। अब तक चाह बूँद की लेकर, मन में ले विश्वास रखी।
मैं तो प्यासा रहा हमेशा जीवन भर गलियारे में। मैं तो प्यासा रहा हमेशा जीवन भर गलियारे में।
सच ! पतन वह हाथों अपने स्वयं सृजित करता है। सच ! पतन वह हाथों अपने स्वयं सृजित करता है।
घट से जन्मी, धरा में समाई। तुम सामान्य नार नहीं .......... घट से जन्मी, धरा में समाई। तुम सामान्य नार नहीं ..........