व्यथा व्यथा
रूक तो रहा ही नहीं ये, आँकड़े बढ़ते जा रहे ना। रूक तो रहा ही नहीं ये, आँकड़े बढ़ते जा रहे ना।
इनका तो यह नित्य का क्रम हो गया, क्यों मौसम हमसे खिन्न हो गया? इनका तो यह नित्य का क्रम हो गया, क्यों मौसम हमसे खिन्न हो गया?
बेहतर है दिल खोलकर अपनी जिंदगी को जिओ। बेहतर है दिल खोलकर अपनी जिंदगी को जिओ।
क्यूँ ना इस जिंदगी को खुलकर जिया जाए...। क्यूँ ना इस जिंदगी को खुलकर जिया जाए...।
किसने सोचा था आएगा, एक साल ऐसा भी । जब घर जाकर अपनो से मिलना, लगने लगेगा सपना ही । किसने सोचा था आएगा, एक साल ऐसा भी । जब घर जाकर अपनो से मिलना, लगने लगेग...