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Aditi Saxena

Tragedy

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Aditi Saxena

Tragedy

एक साल ऐसा भी

एक साल ऐसा भी

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किसने सोचा था आएगा,

एक साल ऐसा भी ।

जब घर जाकर अपनो से मिलना,

लगने लगेगा सपना ही ।।

शादी-ब्याह, तीज-त्योहार,

रह जाएंगे धरे-के-धरे ।

बाहर जाने में लगेगा,

आज मरे कि कल मरे ।।

कई लोगों से छिन जाएगा,

अपना रोज़गार ही ।

सारी दुनिया में मचेगा,

केवल हाहाकार ही ।।

कहीं कोई भूखा सोयेगा,

खाने के इंतज़ार में।

कहीं कोई चोरी करेगा,

अपने बच्चों के प्यार में ।।

बदल जाएगा जीवन सबका,

बस एक ही साल में ।

समझ किसी को ना आएगा,

क्या करे इस हाल में ।।

इतना सब होकर भी,

सब मे इक उम्मीद है ।

ये साल खीच लें कैसे-भी,

फिर तो जीत-ही-जीत है ।।

डॉक्टरों ने साथ दिया,

कुछ लोग भी आगे आये है ।

दुखियो का दुख दूर करने,

भगवान बनकर आये है ।।

इन सबकी मेहनत ने ही, 

आशा के दीप जलाये है ।

मदद करने को लोगों की,

जान हथेली पर लाये है ।।

ऐसे लोगों के कारण ही,

लोगों में ये विश्वास है ।

सब कुछ ठीक होने की,

सारी दुनिया में आस है ।।

फिर से होगा मिलना-जुलना,

खुशियाँ होंगी हर जगह ।

बाहर निकलने से डरने की,

नही होगी कोई वजह ।।

रोज़गार भी खूब फलेगा,

आमदनी होगी भरपूर ।

पहले जैसा ही सब होगा, 

नही होगा कोई मजबूर ।।

ना होंगे सूने बाज़ार,

ना ही गलियाँ चौबारे ।

शादी-ब्याह, तीज त्योहार,

वैसे ही मनेंगे हमारे ।।

जब सब कुछ पहले जैसा होगा,

और होगा सामान्य सभी ।

याद करेंगे और बतलायेंगे,

हम सब बच्चों को भी ।।

उन पलों को याद करके,

आ जाएगा रोना भी ।

कि आया था हमारे जीवन में,

एक साल ऐसा भी ।।



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