ये कहां आ गयें हम...!!
ये कहां आ गयें हम...!!
अब कहां होती है
महफिल दोस्तों की चौराहे पर,
हर कोई अकेले में
अपने अपने गम के साथ
गुमसुम सा है....
कौन कहता है
खुल के दिल की बात
भरोसे से
हर नजर शक से
हर लफ्ज़ फूंक के
बोलता है...
सुना है कम होता है
दुःख बांटने से
अपनो में,
अपनो के मायने
कुछ खयालात
बदले हैं....
सिकुड सी गयी है
दुनिया खुद में
इंटरनेट से,
अजनबीं दिल में
और पडोसी
बेगाने हुए हैं...