चुनाव गरम
चुनाव गरम


अब आयी चुनाव की भूख है,
युवा बना बेवकूफ है।
धर्म को मुद्दा हम बनाएंगे,
युवाओं का वोट लाएंगे।।
घर-घर जाकर झूठा सबका खाएंगे,
चुनाव बाद भूल सबको जाएंगे।
केसरिया-हरा जो हम लहरा दिए,
युवा विकास को भूला दिए।।
पाठ वही जो हम पढ़ा दिए,
पढ़े-लिखे को भी अंधभक्त बना दिये।
विकास के नाम पर शौचालय हम बनाएंगे,
सोच युवाओं की उसी टंकी में ले आएंगे।।
कुछ हाथों को कमल भाएंगे
तो मुख को वन्देमातरम भी आएंगे।
युवाओं का वोट लेने....
साइकिल पर सवार हाथी भी झाड़ू लगाएंगे।।
लूटने वाले हाथ भी दान देंगे..
पंचवर्षीय चोर भी सतनाम जपेंगे।
मोहरा युवाओं को बनाकर...
आख़िर राज हम ही तो करेंगे।।
भले सड़क किनारे बैठी भूख है,
मस्जिद-देवालयों में चादर-फूलों का स्तूप है।
अब आयी चुनाव की भूख है....
युवा बना बेवकूफ है।।