सरज़मी हिंदुस्तान
सरज़मी हिंदुस्तान
क्या मयकशी क्या मयकदी हर ज़ाम है फीकी पड़ी
नज़रों से आगोश में ले ले है पाक हिंदुस्तान-ए-सरज़मीं
क़ल्ब दे जाते जहां अजनबी भी वो पुरहमनशीं - पुरहमनशीं
गुलज़ार-ए-ज़न्नत है अता हर फ़र्क़ है बाग़-ए-दिलकशी
शहिदों की वो दास्तां जब सुनकर चश्मे तरी चश्मे तरी
सरसब्ज़ जिसके दस्त हैं, वो गुलिस्तां-ए-अस्त हमीं
हर एक ने वतन पर जां भी दी जहां मर्द खूब-रू, औरत नाज़नीं
ए मेरे प्यारे वतन उजियारे वतन तिरी हर ज़र्रा-ए-धूल मुबीं
आब-ओ हवा वन्देमातरम की बहती रहेगी हर सदी हर सदी
क्या मोजज़ा तिरी इश्क़ का जंगज़ू से शीरीं-सुख़न कर गई
जिसने मुझे लिखा, पुर हों में आ जाए
'करिश्मा' इतनी तिरी औक़ात नहीं।।
मयकशी मदिरा (LIQUOR)
मयकदी मदिरालय (BAR)
क़ल्ब - दिल (HEART)
पुरहमनशीं हमेशा साथ रहने/देने वाला (FELLOW)
फ़र्क - विविधता (DIVERSITY)
दिलकशी मनोहरता (GRACEFULNESS)
चश्मे तरी आंख भर आना (WATERY EYES)
सरसब्ज़ हराभरा लहलहाता हुआ ( GREENERY)
गुलिस्तां-ए-अस्त छिपा हुआ
बारा (UNDISCLOSED
-GUARDEN)
खूब-रू, नाज़नीं सुंदर, खुबसूरत (BEAUTIFUL)
ज़र्रा-ए-धूल मुबीं-हर कण पवित्र (EVERY DUST IS AUSPICIOUS)
मोजज़ा चमत्कार, करिश्मा MIRACLE)
जंगजू योद्धा, वीर (WARRIORS, SOLDIERS)
शीरीं-सुख़न - मीठा बोलने वाला शायर (POET)
हर्फ़ - शब्द (WORDS)
