हिंदी है जन-जन की भाषा
हिंदी है जन-जन की भाषा
वर्ण वर्ण से जुड़कर ऐसा
काव्य प्रसार किया।
हिंदी ने जोड़ा भारत को
छंद सुधार किया।।
सीना ताने चलती हिंदी
भाल प्रसन्न करे
बनकर ये जन-जन की साथी
भव्य उमंग भरे
अधरों पर संगीत सजाकर
पूर्ण निसार किया।
सर्व विश्व में छाई हिंदी
मुक्त विचार बने
गूँथ शिल्प के घड़े बनाती
लोग कुम्हार बने
गा गा कर लय बांधें कविगण
नित्य प्रचार किया।
वाक्य सुनाएंँ मांँ सी लोरी
शब्द प्रबंध झलक
बगिया हिंदी की पुलकित हो
पुष्प सुगंध महक
अक्षर अक्षर शब्द बिंधते
व्यंग्य प्रहार किया।।
