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Antariksha Saha

Inspirational

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Antariksha Saha

Inspirational

कुछ जरुरी बातें

कुछ जरुरी बातें

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बचपन की बात ही कुछ अलग थी

वह बेफीकरी वो होशियारी

वो बाबा की पीठ पर बैठ के सैर

वो ख्वाब जिनमें कोई वास्तविकता नहीं

वो मेले जिनमें सब बिकते है

पर वो पल नहीं मिलते आज


डरने पर माँ की आँचल पे छिपना

आज वो नसीब कहा होती है

आंसू गिरने से पहले

पोंछ लिए जाते थे 

भूख से नाता पुराना है

आज मायने बदल गए बस


बचपन के वो पल

लगता है हुआ है कल

मीठी सी मुस्कान जो सब से

हसीन वो थी माँ की मुस्कान

किसी और में वो बात कहा

मार में भी एक प्यार था

उन झप्पीयों में गम भूलने की पुड़िया होती थी

रात को वो कहानियाँ

दादी की वो भुला कर के खिलाना


वो खुली किताब जिसमें ज़माने ने जहर डाल दिया

दोस्ती का हाथ सब को बढ़ाया था

सुख में सब है दुख में कोई नहीं

सरल होना होना आज मूर्खता की निशानी है

जिनसे हमने गुलिस्ता बनाया था

वो ही अपना उल्लू सीधा करने पर आमादा थे


अभी कोई हमदर्दी दिखाए तो शक की नज़र से देखते है

हर कोई पैसे से पहचानते है

कोई अपना नहीं स्वार्थ के बिना

दोस्त तब तक है जुगनू की भाती

जब तक दिए में लौ जल रही है


खुदा कही तमाशबीन बैठे हुए है

अपने बन्दों की हिफाज़त कहा कर रहा है

भला आदमी सारी ज़िन्दगी जूझता रहता है

हालत से ऑफिस में बॉस से घर पे बीवी से

बाहर का गुस्सा घर पर


बचपन के वो दिन ही अच्छे थे क्यों बड़े हुए

आज वही सोचते रहते है


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