इतना पास आकर भी मिले न तुम अब यादों की तो झड़ियाँ लगी है। इतना पास आकर भी मिले न तुम अब यादों की तो झड़ियाँ लगी है।
म से ममता, जिसके बिना ना जीवन ये चलता! म से ममता, जिसके बिना ना जीवन ये चलता!
घर से बाहर जाती हूँ पति की तरह कमाती हूँ घर की शान बढ़ाती हूँ घर से बाहर जाती हूँ पति की तरह कमाती हूँ घर की शान बढ़ाती हूँ