सात सुरो की ये दुनिया
सात सुरो की ये दुनिया


सात सुरों की ये दुनिया!
सुर और ताल की ये पुड़िया!
सा से साझेदारी,
जो मिल के है निभानी!
रे से राहें ये सारी,
जिस पर चलना है हमराही बन!
ग से गालिफ़ ये,
जिसने खेडना है साहिल ये!
म से ममता,
जिसके बिना ना जीवन ये चलता!
प से है पहचान इसकी,
जिससे उभरता उसका व्यक्तित्व!
ध से है धैर्य,
जिसके बल पे जीना है बन शौर्य !
नी से है निसर्ग,
जिसके सहारे बनाना है जीवन ये निर्मल!
सा से है सरलता सारी,
अगर समझ ली ये हिस्सेदारी!
सात सुरों की ये दुनिया!
सुर और ताल की ये पुड़िया!