ये शुरुआत है वो युग की
ये शुरुआत है वो युग की
ये शुरुआत हे वो युग की,
धर्म के बचाव की सत्य के चुनाव की,
अधर्म के नाश की, विकास के पाथ की,
चुनौतियों से उठ रहे हजारो आवाज की,
रोज लड़ी जा रही जंग के एलान की,
ये शुरुआत हे वो युग की,
खुशियों से चहेक रहे आवाम की,
उम्मीदों से बुन रहे वो कल की,
अगाथ परिश्रम के वो प्रण की,
नए उग रहे भारत वंश की
ये शुरुआत हे वो युग की,
डर भी जिससे कापता, वो राम जिसकी आस्था,
अटूट जिसका होंसला, धैर्य जीस में पल रहा,
शस्त्र हो निशस्त्र हो, वो हारना ना जानता,
रणभूमि के सारे भेद खोलता वो गीता ज्ञान जानता,
कृष्णा जिसका सारथी वो जुकना ना जानता,
पहेचान बन रही ये वही भारतीय की,
ये शुरुआत हे वो युग की,
नए भारत के आगाज़ की।
