तमन्ना थी
तमन्ना थी
तमन्ना थी उनसे मिलकर आने की
पर दरवाज़े में तो कड़ियाँ लगी है।
रुसवा कमबख़्त वक्त ने कर दिया
आँखों में आंसू की लड़ियाँ लगी है।
इतना पास आकर भी मिले न तुम
अब यादों की तो झड़ियाँ लगी है।
एक दफ़ा मिलना तो चाहते है तुमसे
पर मजबूरियों की बेड़ियाँ लगी है।
तेरा मिलना बातें करना हमें सुकूँ दे
वही तो दवा के जैसी पुड़िया लगी है।
