ख़्याल में तुम
ख़्याल में तुम
बातों को घुमा-घुमा कर क्यो बात करते हो
सीधा–सीधा कह दो अब इश्क नही हमसे
जाना है तो जाओ, ना रोकेंगे तुमको सनम
करेंगे दुआ, मिले तुम्हे अच्छा, कहीं हमसे
बिछड़ जाने का मलाल तो हमे सदा रहेगा
मुख़ातिब हुए फिर भी तुम हो सही हसमे
याद आये तो तस्वीर देख बातें कर लेंगे
क्योंकि मिरे यादो में मिलेंगी वही हमसे
जहन में सिर्फ एक ही ख़्याल याद आता है
ख़्वाब-ए-हक़ीक़त मिलेंगी कही हमसे
जुड़ी रही ना हुई दिल से कभी भी जुदा तू
शब–ए–चाँद दिखा पर मिला नही हमसे
दरार-ए–दिल भरते जो दिल पर आई थी
दूर जाने का फैसला ना करते कही हमसे
फ़िराक़ में क्या कहूँ ना बात हुई ना देखे है
रुख़ हज़ार मिलेगें दिल मिलेगा नही हमसे
मन का उलझन ही मन को जला देता है
मन से सवाल को कैसे कहूं वो सही हमसे।