आख़िरी मुलाकात
आख़िरी मुलाकात
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यार घुट घुट कर जी रहा हूँ दर्द अश्क पी रहा हूँ
शब-ए-वस्ल को आख़िरी मुलाकात कैसे कह दे
नूर रुख़ पर छा जाता है, तुम जब याद आते हो
करते नहीं तुम्हें हम प्यार झूठी बात कैसे कह दे
खफ़ा होकर भी वफ़ा किया बेवफ़ा मोहब्बत से
भरे बज़्म में रुसवा किया वो हालात कैसे कह दे
प्यार के इम्तिहान में पास होकर भी फेल ही रहा
हम तुम मिले बहुत न मिले ख़्यालात कैसे कह दे।