मै क्या तुम क्या
मै क्या तुम क्या
मैं क्या तुम क्या
नज़रे मिली तोह हम बन गए
लोग जुड़ते गए और करवा बनता गया
नज़रिए मिले तोह ठीक
नहीं मिले तोह कोई गलती नहीं उसकी
शायद जिंदगी में किरदार उसका वही तक था
ज़िन्दगी में किसी के आने पे ना पाबंद है ना जाने में
एक रब का हाथ कभी ना छूटे यही डर है

