परफेक्ट मैच
परफेक्ट मैच
चलते हैं कुछ हसीन चेहरे जब साथ में
लगे जैसे खुदा ने हाथ रख दिया हो हाथ में
चेहरे पर मोहक मुस्कान सजाते वो चलते हैं
कई लोगों की धड़कन रोकते वो चलते हैं....
झगड़ते हुए भी वो प्यारे लगते हैं
मर्यादा में रहकर वो न्यारे लगते हैं
बाहों में बाहें डाल क्षितिज वो लगते हैं
विद्युत प्रवाह - सा गतिज वो लगते हैं..
रूठने - मनाने का सिलसिला जारी रहता है
घूमने - घुमाने का रिवाज़ सवाली रहता है
आखिर में महबूब माफ़ी-ए-इज़हार करता है
जीवन भर साथ निभाने का प्रस्ताव रखता है
प्रेयसी की नैनों से नयन नीर बहता है
परस्पर दिलों में असीम प्रेम उमड़ता है
वक्त दोनों की मिली नज़र को कैच करता है
खुमारी का आलम या कहो परफेक्ट मैच लगता है।

