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Neha Prasad

Abstract Romance Inspirational

4.5  

Neha Prasad

Abstract Romance Inspirational

अब तो साजन तुम आओ रे !

अब तो साजन तुम आओ रे !

1 min
335


अब बैशाख भी आ गया,

अब तो साजन तुम आओ रे !

दिन देखत-देखत दुपहरी ढल गई,

अब ना और सताओ रे।

बाहर मौसम की तरह जिया भी जलने लगी,

आकर ठंडक पहुँचाओ रे।

लिखत-लिखत पत्र प्रेम का,

कलम भी गई थक रे।

नदी के उस पार हो साजन तुम मेरे,

ये कैसी किस्मत हाय रे !

करत-करत देश की सेवा,

पति धरम ना भूल जाओ रे।

अब बैशाख भी आ गया,

अब तो साजन तुम आओ रे ! 

मुन्नी देखती राह अपने पिता की,

एक घड़ी तो ठहर जाओ रे।

आंखों से छलक रहे आंसू,

आकर थोड़ा प्रेम बरसाओ रे।

बीत गए दो बरस बिन देखे तुम्हें,

नैनों को अब ना तरसाओ रे।

कहीं ना देखनी पड़े चिता तुम्हारी,

इसका भय हमेशा सताए रे।

दे दो अपनी कुछ तो खबर,

मेरा मन बहुत ही घबराए रे।

साजन तुम्हें बिन देखे,

अब ना रहत जाए रे।

अब बैशाख भी आ गया,

अब तो साजन तुम आओ रे ! 


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