आओ मरहम बन जाते हैं
आओ मरहम बन जाते हैं
कहती वह युवती घायल हंस से
बांटते हुए अपना दुःख -
आओ मरहम बन जाते हैं
एक दूसरे के जख्मों के,
मिटा देते है निशान इनके
दर्द अगर हो तो दोनो बांट लेते हैं,
आओ मरहम बन जाते है।।
आओ मरहम बन जाते है
एक दूसरे के दुःख के साथी बन जाते हैं,
आये अगर तकलीफे जीवन में
तो एक दूसरे की प्रेरणाएं बन जाते हैं।
जख्मों के पहाड़ को पार कर लेते हैं
आओ मरहम बन जाते हैं।।