अब लौट भी आओ तो क्या
अब लौट भी आओ तो क्या
अब लौट भी आओ तो क्या लौट कहांँ पाएंगे फिर वही एहसास।
जिस दिन छोड गए थे उसी दिन ख़त्म हो गए दिल के जज़्बात।।
उम्मीद तुमसे लगा बैठे हम बेहिसाब शायद यही भूल थी हमारी।
जब जाना ही था छोड़कर क्यों आए ज़िंदगी में क्यों थाना हाथ।।
कितनी कसमें दीं तुम्हें कितनी पुकार लगाई हमने, लौट आओ।
तुमने तो मुड़कर भी ना देखा और ना सुनी हमारे दिल की बात।।
अब समझा चुके हैं हम खुद को सीख लिया तुम्हारे बिन जीना।
प्यार पर अब न रहा विश्वास तुमने जो दी बेवफ़ाई की सौगात।।
तुम लौट भी आओ गर फिर वही मोहब्बत ना कर पाएंँगे हम।
दिल की दहलीज पर अब आती नहीं बहारें ना होती बरसात।।
गिला नहीं कोई हमें मयस्सर हों तुम्हें दुनिया की तमाम खुशियांँ।
पर वक्त इतना गुज़र चुका है कि चाहते नहीं फिर हो मुलाकात।।

