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Rakesh Kushwaha Rahi

Romance

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Rakesh Kushwaha Rahi

Romance

क्यों नम है ये आँखें तुम्हारी

क्यों नम है ये आँखें तुम्हारी

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क्यों नम हैं ये आँखें तुम्हारी

जो बन गयी हैं ये रातें हमारी

कुछ देर देखो पलकें उठाकर

कमल सी खिलेगी ये आँखे तुम्हारी।


गम का बोझ यूँ ही ढोते रहोगे

ताउम्र छुपकर यूँ ही रोते रहोगे

क्या शिकायत है हमसे तुम्हारी 

हर खुशी सोचने में यूँ ही खोते रहोगे।


फूलों को देखो जरा खिलते हुए

लोगों को परखो जरा मिलते हुए

जिन्दगी रास आएगी तुमको भी

कभी नदी को देखो मिलकर मिटते हुए।


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