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Rakesh Kushwaha Rahi

Romance

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Rakesh Kushwaha Rahi

Romance

तू जो नहीं है

तू जो नहीं है

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तू जो नहीं है तो मौसम बदलता नहीं है

नजारों से अब ये दिल बहलता नहीं है।


आईने में अपनी सूरत भी बेवफा सी है

अब तेरी तस्वीर वह दिखलाता नहीं है।


आँगन का गुलाब भी गुमसुम सा रहता है

तुम्हारे बगैर कोई फूल मुस्कुराता नहीं है।


तन्हा अंधेरी यामिनी का निस्तब्ध आलम है

मेरे वास्ते अब कोई चिराग जलाता नहीं है।


ये मौसम बहार का रूखा रूखा सा है राही

इस बे-नूर सी जिन्दगी का ठिकाना नहीं है।


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