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Rakesh Kushwaha Rahi

Comedy

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Rakesh Kushwaha Rahi

Comedy

उमर हो गयी है

उमर हो गयी है

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यह बात तब की है

जब मेरे केश सघन काले थे

उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था

तारिफे सुन सुन कर मन गदगदा जाता था

जिस्म की तथाकथित छिपी बांछे खिल जाती थी

गर्व से मस्तक लहराता था

श्वेत धवल बालों का उपहास उङाता था

पर सुदिन कितने दिन रह पाते है

मन इन बातों से अंजाना था

चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात होती है

एक दिन जुल्फे उङाते जा रहा था कि अचानक 

पीछे से एक बाइक ने मेरी बाइक का चुंबन लिया

दिल दहलाने वाला करारा चुम्बन था।

मोटर वाहनों का इश्क कुछ ऐसा ही होता है

जिसमे सिर जल्दी फूट जाता है

सिर नही फूटा तो हाथ पैर जरूर टूटता है

कुछ भी नही हुआ तो

अपशब्दों का उपहार अनिवार्य रूप से मिलता है

पर अपनी किस्मत मे ऐसा कुछ भी नही हुआ

एक दिन भीङ मे

मेरी उम्र से अधिक उम्र के युवाओं ने

समझदारी का मापदंड स्थापित करते हुए 

बङे प्रेम से कहा साइड प्लीज साॅरी अंकल!

मन मे जैसे भूचाल आ गया

यह क्या कह दिया गया है

यह क्या सुन लिया मैंने?

कानों को अविश्वास के जुर्म मे

कई बार रगड़ा कई बार मरोड़ा

फिर मन ने ऐतबार किया 

जो सुना बराबर सुना कुछ गलत नही सुना

सोचा था कुछ शब्द बाणों से युद्ध होगा

गर्म खून का परिचय सत्र होगा

मनचलों की भीङ होगी

पर यह क्या सीधे सारी अंकल

मन हँसा उमर हो गयी है क्या?

व्यथित मन लिए चलता बना

घर पहुँच कर पहला काम किया

लेकर आइना बालों को गिनना आरंभ किया

तब माजरा समझ मे आया

जिन बालों से जवानी का बोध था

रगो मे रवानी का जोश था

कुछ बालों मे अब रंग का लोप था

फिर तो रोज ही कुछ नया घटित होने लगा

सारी अंकल, चाचा देखकर चलिए,

उमर का लिहाज करो, हटो अंकल को बैठने दो

आप पर यह अच्छा नहीं लगेगा

चाचा बड़े रंगीन है

मन ने कहा मामला संगीन है

बाल पहले से अधिक सफेद है

मूंछ, दाङी सिर के बालों मे रेस है

स्वीकार्यता में ही कल्याण छुपा है

कि अब उमर हो गई है

अफसोस के साथ ही सही

मुझे भी स्वीकारना पड़ा कि

अब मेरी भी उमर हो गई है।



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