STORYMIRROR

Dinesh paliwal

Comedy Inspirational

4  

Dinesh paliwal

Comedy Inspirational

।। मोहल्ला ।।

।। मोहल्ला ।।

1 min
231


जाने क्यूँ बात बात पे, उखड़ते भी बहुत हैं,

मेरे मुहल्ले के लोग, अब झगड़ते भी बहुत हैं ।।


यूँ तो इज़्ज़त दिल में, हर किसी के लिये है,

हो बात छोटी तो क्या, ये रगड़ते भी बहुत हैं ।।


ये बादल नहीं हैं ऐसे, जो बहा देंगे घर किसी का,

जब हो हवा का झोंका, ये घुमड़ते भी बहुत हैं ।।


ऐसा नहीं अदावत, यहाँ किसी को किसी से है,

आह भर के देख लो तुम, ये उमड़ते भी बहुत है ।।


हैं घर के बर्तनों से, तो कभी टकरा भी गये होंगे,

कोई बाहर वाला न टोके, ये बिगड़ते भी बहुत हैं ।।


ऐसा नहीं है बस, कि ये खींचते हैं टांग सबकी,

ठोकर तो खा के देखो, ये पकड़ते भी बहुत हैं ।।


ये कविता हम सब भारतवासियों के ऊपर है और हमारे मोहल्ले,

राज्य या देश कहीं भी लागू होती है। तो आइये खुद को अपने भोलेपन से आनंदित रखें ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy