एक दीया उनके भी नाम ।।
एक दीया उनके भी नाम ।।
दीपावली का पर्व ये पावन
दीप श्रंखला हर घर निखरी
अंधकार को मिटा मूल से
श्वेत चांदनी हर दर बिखरी
वचन हेतु वन वन जो भटके
मर्यादा के पालक प्रभु राम
सिया लखन हनुमत के संग
ये प्रथम दीया है उनके नाम ।।
जग में जिन से पहला नाता
उनसा कोई न हमको भाता
उनका अनुभव उनकी सीखें
कोई भुला नहीं इस जग पाता
जिनसे मेरी सुबह सुनहरी
जो हैं बस मेरे चारों धाम
आज दीवाली के अवसर पर
एक दीया पितु मात के नाम ।।
हम जीवन में कितना बढ़ते
सूरज सा हर दिन ही चढ़ते
हमको जितना ज्ञान मिला
जग में जो भी सम्मान मिला
खुद की प्रतिभा से मिलवाया
दीया मंत्र जो हरदम साकाम
आज दीवाली के अवसर पर
एक दीया गुरुवर के नाम ।।
मेरे दुख में दुखी रहे जो
मैं मुसकाया तो है मुस्कान
जादूगर के शुक के जैसी
जिनमें बसती मेरी जान
जिनके संग हैं कितने किस्से
मेरे कठिनाई के वो आराम
आज दीवाली के अवसर पर
एक दीया उन मित्रों के नाम ।।
जाने कब उसने बार आखिरी
की परिवार संग दीवाली थी
हम जो रहें सुरक्षित हरदम
उसने सीमा पर की रखवाली थी
अपनी ड्योढ़ी को छोड़ के वो
देता फर्ज़ को अपने अंजाम
आज दीवाली के अवसर पर
एक दीया उस सैनिक के नाम ।।
आप सभी को दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं।।