दिन भर चलाएँ शब्दों के बाण, करे ना किसी का लिहाज दिन भर चलाएँ शब्दों के बाण, करे ना किसी का लिहाज
पर वो कभी हाथ नहीं लगाती है। पर वो कभी हाथ नहीं लगाती है।
मुझे शर्म नहीं आती मैं लिहाज भी भूल जाता हूँ जब तेरा चेहरा सामने आये तो अपने आप को भूल जाता ह... मुझे शर्म नहीं आती मैं लिहाज भी भूल जाता हूँ जब तेरा चेहरा सामने आये तो अपने ...
मोहब्बत के चेनाब में जैसे पक्का घड़ा उतारा हो। मोहब्बत के चेनाब में जैसे पक्का घड़ा उतारा हो।
लो मर मिटे हम तुम्हारी अदब और लिहाज़ भरी अदाओं पर, बस अब आगे और हमें नहीं कुछ कहना...। लो मर मिटे हम तुम्हारी अदब और लिहाज़ भरी अदाओं पर, बस अब आगे और हमें नहीं क...
मैं आँखें मिलाने में तो ज़माने का लिहाज़ रखता हूँ। मैं आँखें मिलाने में तो ज़माने का लिहाज़ रखता हूँ।