STORYMIRROR

ADITYA MISHRA

Drama

3  

ADITYA MISHRA

Drama

स्त्री

स्त्री

1 min
309

बेहद चुपचाप वो रहती है

शायद ख़ामोशी से ही दोस्ती कर ली है,


जरुरतें उसकी भी बहुत है

पर मांग ज्यादा नहीं करती है,


बेशक उसपे है पाबंदियां चढ़ी हुई

पर वो कभी अपना लिहाज नहीं भूलती है,


पति का बटुआ आंखों के सामने रहता है

पर वो कभी हाथ नहीं लगाती है।


हां वो स्त्री है

जरुरतों से ज्यादा वो चरित्र को महत्व देती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama