सूना फाल्गुन
सूना फाल्गुन
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फाल्गुन के फुलवारी की ये होली आ गई
रंग गुलालों की ये त्यौहार भी अब आ गई,
महक उठी है गलियां गुलालों की भीनी खुशबू से
और झूम रहा है ये जमाना जोगीरा की तान पे।
पर इस दफा वो बात नहीं मेरी होली में
सबकुछ तो है पर तेरा साथ नहीं इस होली में,
वैसे तो हो रही है मेरे तरफ से भी तैयारियां
पर तेरे बगैर सूनी है मेरे रंगों की फुलवारियां।
खुद को मनाकर गर खेल भी लूं मैं होली
फिर भी ये मेरी होली ना होगी,
तेरे रंग में इस कदर डूबा हूं
कि कोई और रंग अब मुझपर न चढ़ सकेगी।