जीवन की धारा
जीवन की धारा


जीवन की धाराओं ने
इतना मुझको सिखा दिया
पानी बुझाई प्यास किसी की
किसी की कश्ती डुबा दिया।
जो क्षण आज खुशी है देती
तय नहीं ये क्षण कल भी रहेगी
जो तुम्हें आज लगता गम है
हो कल खुशी की वो राह बनेगी।
कुछ भी नहीं स्थायी यहां है
पलभर में बाजी है पलटती
राजा रंक बना एक क्षण में
जीवन सार कहानी ये कहती।
धूप की जब भी आस लगाईं
बारिश मुझको भींगा दिया
वर्षा की बूंदों से बचा तो
ओस की बूंदों ने भींगा दिया।
जीवन की धाराओं ने
इतना मुझको सिखा दिया
हवा सुखाये किसी का पसेवन
किसी का दीपक बुझा दिया।