फितरत जिंदगी की
फितरत जिंदगी की
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बहुत मुश्किल होता है वो वक्त
जब साथ अपनों का छूट रहा हो,
जिनके बिना वजूद न थी हमारी
वो आज बस यादों में सिमट रहा हो।
फितरत भी कैसी है जिंदगी की
अजनबियों को अपना बनाकर
उनसे ही दूर कर देती है,
फिर किसी धुंधली तस्वीर को देखकर
उन यादों में जीने की तड़प आंखें भर देती है।