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ADITYA MISHRA

Others

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ADITYA MISHRA

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मैंने उसे जाने दिया

मैंने उसे जाने दिया

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बेअसर हर दुआ मुझपे होने लगा

दूर जब वो शहर से जाने लगा


मैंने रोका नहीं ऐसी बात नहीं

पर मेरी ना भी हां उसे लगने लगा


मैंने इसलिए भी उसको जाने दिया

बेवजह बेखुदी में वो रहने लगा


फूल है तो कब तक महक देगा वो

बिन कांटा गुलाब कब खिलने लगा


इश्क की बात अब वो करता नहीं

इसलिए शायरी मैं लिखने लगा


प्यासे को कुआं नया मिल गया

मैं तो दरिया हूं और मैं बहने लगा।



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