रूप पर मोहित तुम्हारे
रूप पर मोहित तुम्हारे
रूप पर मोहित तुम्हारे
पूरा ये संसार है,
तुम अगर हो जाओ मेरी
यही मेरा श्रृंगार है।
कल्पना में संग तुम्हारे
पल बिताए हजार है,
तुम अगर जीवन में आओ
हर दिन मेरा त्योहार है।
रात में होकर अकेला
गीत लिखूं तेरे नाम पर,
तुम अगर सुनने को आओ
यही मेरा पुरस्कार है।
मेरे मन में प्रश्न बहुत है
आज तुमसे पूछता हूं,
तेरे संग जीवन बिताऊं
क्या मुझे अधिकार है?
है नहीं कोई चाह दूजी
तुम मेरे आंगन पधारो,
बाट जोहे मेरे नैन कबसे
अब ना तुम इनको सताओ,
मैं सदा तुमको निहारूं
यही मेरा उद्धार है
रूप पर मोहित तुम्हारे
पूरा ये संसार है।